पंडित दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के विद्या परिषद ने शनिवार के दिन एक बहोत ही महत्यपूर्ण फैसले पर अपनी सहमति जताई है। इस फैसले के अनुसार पंडित दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय व सम्बंधित महाविद्यालयों से अब पार्ट टाइम पीएचडी की जा सकेगी। सोमवार के दिन पार्ट टाइम पीएचडी गोरखपुर विश्वविद्यालय से करने का सुझाव कार्य परिषद् के सामने रखा जाएगा। इस फैसले को मंजूरी मिलने की काफी ज्यादा उम्मीद है। मौजूदा जानकारी के अनुसार रिसर्च डिग्री कमिटी ने रिसर्च अध्यादेश में संसोधन के लिए अपना प्रस्ताव रखा था। जिस पर अब मुहा लग गयी है व पार्ट टाइम पीएचडी की अधिकतम समयसीमा 8 वर्ष व न्यूनतम समय सीमा चार वर्ष रखी गयी है।
इसके साथ ही साथ महिला व विकलांग अभ्यर्थियों को पार्ट टाइम पीएचडी के लिए दो वर्ष की अतिरिक्त छूट मिलेगी इसके अतिरक्त महिला अभ्यर्थी को 240 दिन का प्रसव अवकाश व बच्चों के देखभाल की छुट्टी भी दी जा सकती है। पार्ट टाइम पीएचडी उत्तर प्रदेश को लेकर एक बात ध्यान रखने योग्य है की पार्ट टाइम पीएचडी के अभ्यर्थी को कोई भी स्कालरशिप या छात्रवृत्ति देय नहीं होगी।
इसके साथ ही एक और खबर पंडित दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से सम्बंधित डिग्री कॉलेज के स्नातक शिक्षकों को शिक्षक सुपरवाइजर बनकर शोध करा सकने का मौका मिलेगा। जो भी शिक्षक शोध करना चाहते है उनका नियमित होना अनिवार्य है संविदा शिक्षक शोध का हिस्सा नहीं बन पाएंगे व उनके पास पहले से ही पीएचडी की डिग्री मौजूद होनी चाहिए जो की यूजीसी के नियम अनुसार है। डिग्री कॉलेजेस एक स्नातक स्तर के शिक्षकों को शोध करने की अनुमित मिल गयी है। लेकिन डिग्री कॉलेज प्रबंधन को साइंस लैब व लाइब्रेरी की व्यवस्था बेहतर करनी होगी। गुणवत्ता बनाये रखने के लिए शोध की प्रक्रिया विश्वविद्यालय ही पूरी करेगा गोरखपुर विश्वविद्यालय में पीएचडी की करीब 1200 सीट अभी मौजूद है। पार्ट टाइम पीएचडी की सीटें अभी भी निर्धारित होने अभी बाकी है।
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