उत्तर प्रदेश चुनाव 2022 बहोत निकट है व उत्तर प्रदेश की सभी पार्टयों ने अपना चुनाव अभियान उत्तर प्रदेश में शुरू कर दिया है। इसी बीच 5 सितम्बर को संयुक्त किसान मोर्चा ने मुजफ्फरनगर में महापंचायत बुलाई जिसमे किसानो को सरकार के Three Farm Laws को विशेष मुद्दा बनाया गया। इस भीड़ में काफी लोगों ने हिस्सा लिया जिसके बाद BJP नेता वरुण गाँधी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दो पेज का पत्र लिखा और प्रदेश में संभावित ध्रुवीकरण की जो राजनीति चल रही है उस पर गहरी चिंता व्यक्त की। वरुण गाँधी का पत्र किसानो को बहलाने की जो कोशिस उत्तर प्रदेश में हो रही है उस पर गहरी चिंता व्यक्त करता है। इस पत्र में वरुण गाँधी ने योगी आदित्यनाथ को कई महत्यपूर्ण सुझाव दिए जिस से किसानो को और ज्यादा भला योगी आदित्यनाथ कर पाएंगे। ऐसी पत्र में तीन बार के MP रह चुके वरुण गाँधी ने ये सुझाव भी दिया की उत्तर प्रदेश में फसलों को दाम बढ़ाया जाए जिस से किसानो को उसकी मेहनत पर और भी ज्यादा बचत हो सके। सुझावों में PM KISAN Samman nidhi को दो गुना करने जैसे विचार थे जिन पर प्रदेश सरकार विचार कर सकती है। जाहिर है इस कदम से उत्तर प्रदेश में किसानो की आर्थिक स्तिथि सुधरेगी। अब ऐसा अंदाजा लगाया जा रहा है की उत्तर प्रदेश में बढ़ेगा गन्ना मूल्य। साथ ही साथ अन्य फसलों के मूल्य में भी सुधार देखने को मिल सकता है।
उत्तर प्रदेश में फिलहाल राजनीती जोर पर है व किसान इस बार उत्तर प्रदेश इलेक्शन 2022 का बढ़ा मुद्दा बनेगे। एक तरफ भारतीय किसान यूनियन पार्टी के नेता राकेश टिकैत है जिनका कहना है की मोदी सरकार का ये बिल किसानो की जमीन हड़प लेगा पर फार्म बिल में ऐसी कोई भी लाइन लिखी हुई दिखाने को तैयार नहीं होते। दूसरी तरफ मोदी सरकार है जिसका कहना है की किसान जब खुद सीधा कंपनी को अपना माल बेचेगा तो अतिरक्त मुनाफा भी किसान का ही होगा, दलालों के पास बेचीं गयी फसल के रूपए के लिए जो 30 से 45 दिन का इंतज़ार करना पड़ता है वो नहीं करना पड़ेगा व किसान की मेहनत का पैसा दलालों की जेबो में नहीं जाएगा। एक तरफ किसान फसल बेचेगा दूसरी तरफ उसका दाम उसके बैंक अकाउंट में आ जायेगा। किसान के पास समय से उसकी मेहनत का पैसा पहुँच सकेगा।
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वरुण गाँधी ने भाजपा की नीतियों को और भी ज्यादा मजबूत करने के लिए और उत्तर प्रदेश में किसानो के और भी ज्यादा उत्थान करने के लिए योगी आदित्यनाथ को ये पत्र लिखा था जिसके प्रमुख बिंदु कुछ इस प्रकार है।
- उत्तर प्रदेश में बढ़ेगा गन्ना मूल्य – उत्तर प्रदेश में फिलहान गन्ना मूल्य 315 रूपए प्रति क़्वींटल के फिक्स्ड रेट पर चल रहा है उत्तर प्रदेश सरकार का अभी तक पूरा फोकस बकाया गन्ना राशि को चुकाने पर था लेकिन पत्र में ये सुझाव है की गन्ना की खरीद 315 रूपए से बढाकर 400 रूपए प्रति क़्वींटल कर दी जाए जिस से प्रदेश के क़िस्साओं का और अधिक भला हो सके।
- उत्तर प्रदेश में बढ़ाया जाए गेंहू और धान का दाम – वरुण गाँधी के पत्र में ये सुझाव भी दिया गया है की प्रदेश सरकार गेहूं और धान की सरकारी खरीद MSP प्राइस से 200 रूपए प्रति क़्वींटल अतिरिक्त भाव पर करे।
- दो गुना किया जाए PM KISAN Samman nidhi – वरुण गाँधी ने ये भी कहा की प्रदेश सरकार PM KISAN Samman Nidhi को बढ़ा कर 12000 रूपए सालाना कर दे जिस से किसानो को और भी अधिक मदद मिल सके। किसान सम्मान निधि में अतिरिक्त 6000 रूपए प्रदेश सरकार अपनी तरफ से व अपने बजट से किसानो को उपलब्ध करवाए। बढे हुए सम्मान निधि से जाहिर है उत्तर प्रदेश के किसानो में भाजपा सरकार के लिए विस्वास और अधिक बढ़ेगा।
- किसानो को डीजल पार सब्सिडी – वरुण गाँधी ने ये सुझाव भी दिया की किसानो को डीजल के दामों पर सब्सिडी दी जाए जिस से उनके लिए बढे हुए डीजल के दाम बोझ न बने और वो आसानी से अपनी खेती पर पाए।
इस बार किसान UP Election 2022 का बड़ा मुद्दा है और इसके शुरुआत प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के Three Farm Laws से हुई। प्रधान मंत्री मोदी ने किसानों के भले के लिए फार्म बिल लाये जिस से कई राजनैतिक पार्टियों में हलचल मच गयी क्यूंकि भारत अभी भी कृषि प्रधान देश है और भरतीय किसानो और कृषि की ताकत कोरोना के समय खूब परखी गयी। जब ज्यादातर व्यापारों के बंद पद जाने के बावजूद भी भारत की अर्थव्यवस्था को बहोत बड़े नुकसान से बचा लिया गया। अगर ऐसे में कोई एक बिल जो 40 प्रतिसत से अधिक आबादी का भला करेगा लाया जाए तो जाहिर सी बात ऐसी पार्टी को फिर हराना मुश्किल होगा।
किसान पार्टी के नेता राकेश टिकैत अभी भी धरने पर है पर इतना समय बीत जाने के बावजूद भी वो लाइन जिसमे किसान की भूमि हड़पी जाए इस बात की पुस्टि हो वो नहीं दिखा रहे। अगर भाजपा किसी अद्र्श्य नियम जो लिखा भी नहीं गया है उसके दम पर किसानों की जमीन हड़प लेने वाली है तो किसान बिल को लाने की जरुरत ही क्या थी। जब जमीन हड़पी जा रही होगी तो क्या देश के सर्वोच्च अदालतें बस देखने के लिए रहेंगी 130 करोड़ के देश में कोई एक आदमी भी केस नहीं करने जाएगा। फैसला किसान करेगे की उन्हें क्या पसंद है दलालों की जेबे भरना या फिर उत्थान।
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